काहिरा: मिश्र में वेल मछली की करोडों साल पुरानी प्रजाति मिली है। यह मछली 4.3 करोड़ साल पहले पाई जाती थी। इस मछली की चार टांगे थी और यह चलती भी और तैरती भी थी। वैज्ञानिकों ने कई साल पहले इसके जीवाश्म मिलने के बाद हाल ही में इसकी प्रजाति की खोज की है और इसे नाम दिया गया है फीमोसेटस अनुबीस।
इसके जीवाश्म मिस्र के रेगिस्तान में मिले हैं। इस वेल मछली का वजन 600 किलो रहा होगा और लंबाई तीन मीटर। यह जमीन पर भी चलती होगी और पानी में तैरती भी होगी। इसका नाम मिस्र के प्राचीन देवता अनुबीस पर रखा गया है जिनका खोपड़ा जैकॉल के सिर जैसा था। वह मृतकों के देवता था। इसके नाम का एक हिस्सा फायूम शाद्वल पर रखा गया है। यह वही स्थान है जहां से इसके जीवाश्म मिले हैं। मिस्र के फायूम डिप्रेशन को 5.6 से 3.39 करोड़ साल पहले के जीवाश्मों का घर माना जाता है।
यूनिवर्सिटी के चेयरमैन हिशम सल्लाम ने यह जानकारी दी है। रिसर्च टीम ने चार साल तक स्टडी को डॉक्युमेंट और रिकॉर्ड किया। इसकी तुलना मिस्र और बाहर के देशों में मिलने वाले वेल के जीवाश्म सैंपल्स से की गई। माना जा रहा है कि अफ्रीका में मिलने वाली यह सबसे पुरानी वेल मछली है।यह स्टडी मनसूरा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने की है। स्टडी के लीड लेखक अब्दुल्ला गोहर ने रॉयटर्स को बताया है कि फीमोसेटस अनुबीस एक नई और अहम प्रजाती है। यह अफ्रीकी और मिस्र की पेलियंटॉलजी में एक बड़ी खोज है।
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