मेरा सुकून
तुम मेरा सुकून
हो..और तुम्हारी वजह से ही मेरा जीना मुश्किल भी है..मतबल सीधा है कि तुम मेरा चैन
भी हो और मेरा सिरदर्द भी..मेरी खुशी भी हो और मेरे दुख की वजह भी..मेरा मर्ज भी
हो और उस मर्ज की दवा भी...तुम साथ हो तो बेचैनी है और तुम साथ न हो तो तड़प है...तुम्हारा
मेरे पास होना मेरी जीवन की पहली और आखिरी ख्वाहिश है...इस ख्वाहिश के आगे हर हर
खुशी-हर ख्वाहिश छलावा लगती है...हां मुझे तुम्हारा साथ पंसद है..और मुझे इस बात
से इनकार भी नहीं कि जब तुम नहीं हो तो मुझे तुम्हारा इंतजार पंसद है...तुम्हारे
होने का जो एहसास है ना वो मेरी रूह को सुकून देता है...मुझे हर वो चीज पसंद है
जिसमें तुम हो...जो तुम से जुड़ी हो... तुम्हारे होने का एहसास, उस चैन की सांस जैसा
जो मुझे जिंदगी देती है...तुम्हारे होने के एहसास को शब्दों में बयां करना मेरे
प्यार की तौहीन है...तुम्हें सिर्फ महसूस किया जा सकता है हर उस बेशकीमती एहसास की
तरह जिसे सिर्फ जिया जाता है...जैसे धूप को बयां करना मुश्किल है..चांद की शीतलता
को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता...ठंडे पानी से बुझी प्यास को शब्द नहीं समझा
सकते वैसे ही तुम मेरे लिए क्या हो इसे सिर्फ महसूस कर सकते हैं..बयां नहीं...हां
एक शब्द में कहूं तो तुम सुकून हो मेरा...
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