बच्चे को शुरू से ही सिखाएं ये आदतें


अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को शुरु से अच्छी आदतें सिखायें जिससे वह बड़े होकर बेहतर नागरिक बन सकें। बच्चे ही देश का भविष्य हैं इसलिए यह सबसे जरुरी है। आमतौर पर दो-तीन साल की उम्र में बच्चा बड़ों की बातें मानना शुरु कर देते हैं इसलिए अभिभावकों को इसी उम्र में बच्चे में अच्छी आदतें डालनी शुरु कर देनी चाहिए। बच्चे का खिलौने के लिए अपने दोस्त और छोटे भाई- बहन से छीना-झपटी या मार-पीट करना हम उसे छोटा बच्चा समझकर अनदेखा कर देते हैं पर ऐसी आदतें बच्चों में एक उम्र के बाद बदलनी मुश्किल हो जाती है। उसे अपनी खाने- पीने वाली चीजों और खिलौनों को साझा करना सिखाएं।

खेल के मैदान में अनुशासन

रोजाना शाम को बच्चों को अपने साथ पार्क ले जाएं। वहां अगर वह किसी दोस्त को धक्का देकर गिराने या उसके साथ मारपीट जैसी हरकतें करे तो इसे बच्चे की मासूम शरारत समझकर अनदेखा न करें उसे प्यार से मिलजुल कर रहना सिखाएं। बच्चों में दूसरों की तकलीफ समझने की भावना विकसित करें। पार्क में बच्चे झूले पर सबसे पहले बैठने के लिए जिद्द करने लगते हैं। ऐसे में आप उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना सिखाएं। 

बच्चे की हर बात ना मानें 

छोटी-छोटी बातों के लिए बच्चों का रूठना और जिद करना उनकी आदत होती है। बच्चा रो-चिल्लाकर किसी चीज़ के लिए जि़द करे तो उस वक्त उसकी कोई भी मांग पूरी न करें। उसे प्यार से शांत करें अगर मांग सही है तभी उसकी बात मानें।

बड़ों का सम्मान

बच्चों की शरारतें और प्यारी-प्यारी बातें सभी को अच्छी लगती हैं पर कई बार बातचीत के दौरान वे अपशब्दों का भी प्रयोग करते हैं। दादा-दादी की मदद करना और उनकी बातें ध्यान से सुनना जैसी आदतें बच्चों में छोटी उम्र से ही विकसित करनी चाहिए।    

सामाजिक व्यवहार करना सिखाएं

केवल परिवार के साथ ही नहीं बल्कि आसपास के उन सभी लोगों का सम्मान करना सिखाएं जो किसी न किसी भी रूप में हमारे मददगार होते हैं। उसे अपनों से बड़ों से आदर से बात करना सिखायें। 

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