¤ वो कहती है कि अब तुमसे बात करने का कोई फायदा नहीं...एक हम ही बुद्धु थे जो प्यार में खोए थे...हमें क्या पता था वो बातों में भी फायदा ढूंढ़ते थे...
¤ वो गुमसुम है यूं हमे देखकर क़ि जैसे दिल की उलझन छुपा रहे है... और हम मजबूर आज फिर एक नया ख़्वाब सजा रहे है।।
¤ हर रोज़ सवेरा होता है रोज़ एक ख़्वाब टूटता है...अब तो तुझसे मिलने की उम्मीद सी कम ही लगती है।।
¤ तेरा-मेरा रिश्ता धूप और छाओं की तरह है...साथ साथ रहना तो चाहते है पर रह नहीं सकते।।
¤ थोडी तकरार इश्क में जरुरी है... मगर रूह जिस्म से जुदा नहीं होती।।
¤ हर शाम दिल में एक ख्याल आता है....जिस शाम का इंतज़ार है इन नज़रों को कि वो शाम कब होगी ।।
¤ वो गुमसुम है यूं हमे देखकर क़ि जैसे दिल की उलझन छुपा रहे है... और हम मजबूर आज फिर एक नया ख़्वाब सजा रहे है।।
¤ हर रोज़ सवेरा होता है रोज़ एक ख़्वाब टूटता है...अब तो तुझसे मिलने की उम्मीद सी कम ही लगती है।।
¤ तेरा-मेरा रिश्ता धूप और छाओं की तरह है...साथ साथ रहना तो चाहते है पर रह नहीं सकते।।
¤ थोडी तकरार इश्क में जरुरी है... मगर रूह जिस्म से जुदा नहीं होती।।
¤ हर शाम दिल में एक ख्याल आता है....जिस शाम का इंतज़ार है इन नज़रों को कि वो शाम कब होगी ।।
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