जीवन में संगत का बेहद प्रभाव पड़ता है जैसी संगत हम करते हैं वैसा ही फल हमें मिलता है। जिस प्रकार अच्छी गुणवत्ता के गुलाब की किस्म को कमजोर गुणवत्ता वाली गुलाब की किस्म के पास लगाया जाता है। यह इसलिए किया जाता है ताकि कमजोर किस्म के गुलाब का परागण उच्च किस्म के गुलाब के साथ हो सके और उनकी गुणवत्ता में निखार आ सके। ठीक इसी तरह कमजोर को बेहतर बनाने का प्रयत्न किया जाता है।

ठीक उसी प्रकार यह सिद्धांत हमारी जिंदगी में भी काम करता है। कहा भी जाता है कि हम जिस तरह के लोगों की संगत में रहते हैं उसी से हमारी पहचान बनती है। इसी तरह अगर हम आध्यात्मिक जीवन में प्रगति चाहते हैं तो हमें साधु,संतों और उन लोगों का साथ हासिल करना चाहिए जो उस रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। 

अगर हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ कुछ समय बिताते हैं जो खुद ध्यान और प्राणायाम करता है तो हम पर उसकी इन आदतों का असर होगा ही। अच्छे लोगों की संगति हमें अच्छे रास्तों पर आगे बढऩे की प्रेरणा देती है। तो आपको अपनी संगति का मूल्यांकन करना चाहिए कि आप कैसी संगति में हैं। यदि आप ऐसे दोस्तों के साथ जुड़े हैं जो आपकी तरक्की में सहायक हैं या जिनके साथ रहते हुए आप नई चीजें सीख पा रहे हैं तो यह आपके लिए अच्छी बात है लेकिन अगर ऐसा नहीं हो रहा है तब आपको चिंता करनी चाहिए। 

आप जिन लोगों के साथ रहते हैं उनके व्यवहार के कारण ही आपके बारे में कोई भी धारणा बनाने का काम होता है इसलिए अपनी संगति के प्रति अत्यधिक सावधानी और सतर्कता रखनी चाहिए। जिस तरह किसी भी आईने में व्यक्ति का अक्स नजर आ जाता है उसी तरह दोस्तों से आपके मिजाज का अंदाज हो जाता है। इसलिए युवा अवस्था में संगति बना भी देती है और बिगाड़ भी सकती है। यही वजह है कि अपनी संगति का चयन बहुत ही देखभाल के साथ करना चाहिए।