वॉशिंगटन: कोरोना के बदलते स्वरूप की दहशत के बीच अमेरिकी दवा नियंत्रक संस्था यूएसएफडीए की विशेषज्ञ समिति ने कोविड-19 प्रतिरोधक दवा तैयार किए गए मोलनुपिरविर टैबलेट के आपातकालीन उपयोग की इजाजत दे दी। अमेरिकी दवा नियंत्रक संस्था एमएचआरए की अनुमति इसे पहले ही मिल चुकी है जबकि भारतीय दवा नियंत्रक सीडीएससीओ इस पर विचार कर रही है।
मॉलुनपिरविर को एमएसडी और रिजबैक बायोथेराप्युटिक्स ने तैयार किया है। वहीं, अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने भी अपनी कोविड-19 के लिए तैयार टैबलेट पैक्सलोविड के आपातकालीन उपयोगी की अनुमति मांगी है। कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन के मद्देनजर इन दोनों टैबलेट्स- मोलुनपिरविर और पैक्सलोविड का क्या महत्व हो सकता है? आइए जानने की कोशिश करते हैं...
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अब तक वैक्सीन ही एकमात्र हथियार के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। दुनियाभर में बहुत से लोगों में सुई चुभने का खौफ इतना ज्यादा होता है कि वो वैक्सीन लगवाना नहीं चाहते। ऐसे में मोलुनपिरविर और पैक्सलोविड टैबलेट उनके लिए बड़ी राहत साबित हो सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि ये टैबलेट्स कोविड के खिलाफ किस हद तक प्रभावी हैं?
दरअसल, क्लीनिकल ट्रायल के दौरान मोलुनिरविर खाने वाले कोविड पीड़ित व्यस्क मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने और उनकी मृत्यु की नौबत 30 फीसदी तक घट गई। वहीं, फाइजर ने अपने एंटिवायरल टैबलेट पैक्सलोविड का क्लीनिकल ट्रायल डेटा जारी किया है।
फाइजर के मुताबिक, ज्यादा जोखिम वाले मरीजों को कोविड महामारी के लक्षण दिखने के तीन दिनों के अंदर पैक्सलोविड दे दिया जाए तो उनके अस्पताल में भर्ती होने का चांस 90 फीसदी कम हो जाता है और उनकी मौत भी नहीं होती है। फाइजर अब यह पता करने में जुटा है कि क्या पैक्सलोविड को कोविड से बचाव के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है जैसा कि प्रोफिलैक्सिस आदि का इस्तेमाल होता है।
अमेरिकी दवा नियंत्रक यूएसएफडीए की समिति के सामने मोलुनपिरविर का आवेदन पहुंचा तो समिति के 13 सदस्यों ने इसके आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी देने का पक्ष लिया तो 10 सदस्यों ने विरोध किया। इसका मतलब है कि इसकी सुरक्षा को लेकर विशेषज्ञों का एक बड़ा वर्ग सशंकित है। यही वजह है कि मोलुनपिरविर को बच्चों और गर्भवती महिलाओं को देने की अनुमति नहीं है। विशेषज्ञों को आशंका है कि गर्भवती महिलाओं को यह टैबलेट खिलाने से बच्चे की पैदाइश में खतरा पैदा हो सकता है।
वहीं, पुरुषों में प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंच सकता है और इंसान के डीएनए में म्यूटेशन हो सकते हैं। यही वजह है कि विशेषज्ञों ने टैबलेट की सुरक्षा संबंधी और आंकड़े मांगे हैं। जहां तक बात फाइजर के पैक्सलोविड टैबलेट की है तो इसे लेकर सुरक्षा संबंधी ज्यादा खतरा नहीं दिखा है।
ओमीक्रोन वेरियेंट का पता अभी-अभी चला है। उस पर मोलुनपरिविर और पैक्सलोविड के असर की जांच ही नहीं की गई है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि चूंकि दोनों टैबलेट के काम करने का तरीका ऐंटिबॉडीज या वैक्सीन के तरीके से इतर है, इसलिए ये टैबलेट ओमीक्रॉन ही नहीं, कोरोना के किसी भी वेरिएंट के खिलाफ कारगर होंगे।

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