नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के मामले अब दोगुनी संख्या में सामने आ रहे हैं। ओमिक्रॉन स्ट्रेन अब यहां पर पूरी तरह फैल चुका है। अपने प्रेजेंटेशन में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज के प्रमुख मिशेल ग्रूम ने कहा, 'लेटेस्ट इंफेक्शन ज्यादातर युवाओं में हुआ है लेकिन हम देख रहे हैं कि ये बुजुर्गों की तरफ भी बढ़ रहा है। हम इस बात की भी संभावना लेकर चल रहे हैं कि अधिकतर गंभीर परेशानियां कुछ हफ्तों के बाद ही नजर आती हैं।
क्रिस्प जीनोमिक्स इंस्टीट्यूट के एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ रिचर्ड लेसेल्स ने कहा कि अगर ये वायरस और वैरिएंट पूरी क्षमता से आबादी में फैल जाता है तो भी ये उन लोगों को सबसे पहले ढूंढेगा जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है। यही चीज हमें महाद्वीप के बारे में ज्यादा चिंतित करता है। पश्चिमी देशों और चीन की तुलना में दक्षिण अफ्रीका में वैक्सीनेशन की दर बहुत कम है।
1.3 अरब लोगों के महाद्वीप में, केवल 6.7 फीसदी लोगों को पूरी तरह से वैक्सीन लगी है, कांगो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक में 100 मिलियन लोगों में से केवल 0.1फीसदीलोगों ने वैक्सीन लगवाई है। प्रोफेसर लेसेल्स ने उम्मीद जताई है कि भले ही ये वैरिएंट एंटीबॉडी से बच सकता हो लेकिन शरीर के अन्य बचाव, जैसे कि टी-कोशिकाएं , अभी भी प्रभावी रहेंगी। टी-कोशिकाएं संक्रमित कोशिकाओं को मारती हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि गंभीर बीमारी के खिलाफ हमारे पास जो सुरक्षा है, वो इस वैरिएंट पर काम कर सकती है। बता दें कि कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की दहशत पूरी दुनिया में फैल गई है। इस वैरिएंट की पहचान सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने की थी और डब्ल्यूएचओ को इसकी गंभीरता की जानकारी दे दी थी। वैज्ञानिक इस नए वैरिएंट के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने में लग गए हैं।

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