तू जाने ना



तुम मेरे दिल की वो आवाज हो जो मेरे कानों में मधुर संगीत की तरह बजती रहती है...वो आवाज जिसे मैं जिंदगी भर हर पल भी सुनता रहूं ना तो भी मुझे ये हर क्षण एक नयी ताजगी और रोमांच दे... कभी-कभी यूं ही मेरे दिल में ख्याल आता है कि आखिर क्यों मुझे तुमसे इतना प्यार है...क्यों तुमसे इतनी दूरी होने के बावजूद तुम्हार एहसास हर लम्हा मेरे साथ है...मुझे आज भी लगता है जैसे तुम्हारी गर्म सांसे मेरे चेहरे को छू रही हों...मुझे आज भी महसूस होता है जैसे तुम मेरे कानों को अपने होंठों से दबाने की कोशिश कर रही हो...और मैं हर बार की तरह फिर खो जाता हूं उस लम्हें में...मेरे कानों में तुम्हारा शरारत से फूंक मारना सब कुछ वैसा का वैसा याद है मुझे... वो बातें भी और वो एहसास भी...ऐसा लगता है जैसे कल ही की तो बात हो...तुम मेरे साथ थी...लेकिन इन यादों के बीच आई एक गहरी सांस उस दूरी को जिंदा कर देगी है जो हमारे बीच है...उस सफर की याद दिला देती है जो इन सात सालों में हमने एक दूसरे के बिना पूरा किया है...
  
मुझे पता है तुम मुझसे बहुत दूर हो...इतनी दूर कि मैं चाहूं भी तो कभी उन फासलों को तय नहीं कर पाऊं..लेकिन ना जाने क्यों इन दूरियों को बाद भी तुम्हारा प्यार मुझे तम्हारी मौजूदगी का एहसास कराता है...मैं नहीं जानता कि तुम्हें भी ऐसा महसूस होता है या नहीं...लेकिन मैं शायद ही इस जन्म में तुम्हें भुला पाऊं...मुझे पता है हमारा मिलना मुकद्दर नहीं...जिंदा है तो बस उस वक्त के सहारे जो तुम्हारे साथ गुज़ारा था कभी...राहत है तो सिर्फ ये कि एक वक्त ऐसा भी था जब तुम मेरी थी औऱ तुम्हारा वक्त मेरा था..तुम्हार प्यार सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए था...वो पल, वो बाते, वो यादें ही काफी है मेरे जीने के लिये...

   अक्सर मेरी शायरी और लिखाई पढ़कर लोग तुम्हारा नाम जानना चाहते है...वो नाम जो मेरी हर सांस में बसा है...वो नाम जो मेरी धड़कन का संगीत है...वो नाम जो मेरे दिमाग में हमेशा गूंजता है ज़ुबा पर कैसे लाए...समझ नहीं आता...क्योंकि अब तुम पर और तुम्हारे नाम पर मेरा नहीं किसी और का हक है...और ये मेरे लिए कैसी सजा है तू जाने ना...